नौ ग्रहों में सर्वाधिक शुभता गुरु के पास है. गुरु ग्यान का कारक माना गया है. जन्म कुंडली में यदि गुरु शुभ अवस्था में हो तो जीवन में हर तरह की सुख समृद्धि प्राप्त होती है. बैठे बिठाए कम मेहनत मे ज्यादा धन प्राप्त होता है। जातक के ऊपर दैवीय कृपा होती है और व्यक्ति जीवन में तमाम समस्याओं से बच जाता है।
जन्म कुंडली में यदि गुरु अशुभ अवस्था हो तो किस्मत कभी साथ नहीं देती. जातक सुख समृद्धि के लिए तरसता रहता है।
घर में धन टिक नहीं पाता है. कर्जे पे कर्जा चढ़ता रहता है।
100% काम करने बाद लाभ केवल 10% ही मिलता है. किस्मत बार बार धोका देती है।
जातक में संस्कारों की कमी होती है. बड़े बुजुर्गों से विचार नहीं मिल पाते हैं. जातक को अपने दादा का सुख नहीं मिल पाता है।
जातक का बार बार सोना खो जाता है या चोरी हो जाता है।
पढ़ाई रुक रुक कर पूरी होती है या बीच में ही छूट जाती है. जो भी सीखा पढ़ा हो उसके नुसार लाभ नहीं मिलता है. यानी कि (उदाहरण - जातक ने इंजिनियरिंग की होती है और काम कपड़े बेचने का कर रहा होता है)
जातक के पास ग्यान की कमी होती है. फिर भी खुद को ग्यानवान समझता है और हर किसी को सलाह देने की आदत होती है। बात बात पर टोका टाकी करने की आदत होती है।
जातक को फेफड़े से संबंधित, दमा,मोटापा, सास से संबंधित रोग होने की संभावना होती है। बार बार जातक सर्दी से परेशान रहता है।
ऐसे जातकों में धैर्य की कमी होती है. हर काम, हर निर्णय जल्दबाजी में करने की आदत होती है. जिससे जिवन में काफी धन बर्बाद होता है।
जातक का नीच कर्म की ओर झुकाव रहता है और बड़ों का सम्मान नहीं करता. गाली गलौज करने की आदत होती है। जातक धर्म विरोधी होता है।
यदि इस तरह का कोई भी लक्षण दिखे तो समझ लीजिए कि आपकी जन्म कुंडली में गुरु देव अशुभ हैं। यदि आप इस अशुभता को दूर करना चाहते हैं तो नीचे बताए गए उपाय करके आप गुरु देव की अशुभता को दूर कर सकते हैं।
अशुभ गुरु के अनिष्ट को दूर करने के सरल उपाय
:-
गुरुवार के दिन किसी भी मंदिर में सामर्थ्य अनुसार चने की दाल चढ़ाकर मंदिर के बुजुर्ग पंडित जी को पीले वस्त्र और कुछ दक्षिणा दान देकर उनके पाव छूकर उनसे सुख समृद्धि का आशीर्वाद लेना गुरु के अशुभता को दूर करता है।
पुखराज, सोना, चने की दाल, पीला कपड़ा, हल्दी, धार्मिक पुस्तक इत्यादि अपने सामर्थ्यअनुसार दान करना चाहिए।
घर के बड़े बुजुर्गो का सम्मान करें उनकी कहना मान कर चले।
अपने माने हुये गुरुओ की सेवा करें।
भगवान शिवजी की आराधना करें क्योंकि शिव ही सबके गुरु है।
नित्य केसर का तिलक नाभि, जुबान और माथेपर लगाए।
गले में सोना धारण करें अगर सम्भव न हो तो पीला धागा धारण करे।
43 दिन एक लौटे जल में थोड़ा दूध और चीनी मिलाकर बड़ के पेड़ में चढ़ाकर फिर वहा की गिली मिट्टी का तिलक करे।
घर की उत्तर-पुर्व (ईशान्य) दिशा साफ सुथरी रखे. वहा पर किसी भी तरह का लोहे का जड सामान, कबाड़, गंदगी न रखें।
किसी मन्दिर में या किसी धर्म स्थल पर निःशुल्क सेवा करनी चाहिए।
मंदिर में पीपल का पौधा लगाए।
परस्त्री / परपुरुष से संबंध नहीं रखने चाहिए।
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