मंगल देव पराक्रम, स्फूर्ति साहस, धैर्य, देश प्रेम, बल, रक्त, दृढ़ता, मंगल कार्य का कारक माना गया हैं। कुंडली में मंगल शुभ अवस्था में हो तो जातक मेहनती, पराक्रमी, बलशाली, देश प्रेमी होता है।
यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में मंगल अशुभ है तो उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
घर में कोई मंगल कार्य नहीं हो पाता. जैसे ही घर में कोई शादी, जन्मदिन, मंगल कार्य होता है. वेसे ही घर में कोई बुरी खबर सुनने को मिलती है।
विवाह में बार बार कोई कोई विघ्न आते हैं और विवाह देरी से होता है।
बच्चे पैदा करने में अड़चनें आती हैं या पैदा होते ही उनकी मौत हो जाती है।
सेहत हमेशा खराब रहती है. पाचनतंत्र हमेशा कमजोर होता है. पेट से संबंधित कोई न कोई दिक्कत लगी ही रहती है। खून से संबंधित रोग विकार होते हैं।
काम करते वक़्त बार बार चोट लगकर खून निकलता है. कोई दुर्घटना से चोट-चपेट लगने के कारण कष्ट होता है।
भाई के साथ कभी नहीं बनती है. भाई और रिश्तेदारों का सपोर्ट कभी नहीं मिलता और उनके साथ कोई न कोई विवाद होता रहता है।
मुसीबत में साथ देने वाले दोस्त काम और धोका देने वाले दोस्त ज्यादा होते है।
जातक का स्वभाव क्रोधी हो जाता है. बात बात पर
किसी से भी झगड़े मार पीट हो जाती है. जिससे कि
घर में हमेशा कलह की स्थिति बनी रहती है।
धन की कमी हमेशा बनी रहती है। खुल के धन कभी नहीं आ पाता।
यदि इस तरह का कोई भी लक्षण दिखे तो समझ लीजिए कि आपकी जन्म कुंडली में मंगल देव अशुभ हैं। यदि आप इस अशुभता को दूर करना चाहते हैं तो नीचे बताए गए उपाय करके आप मंगल देव की अशुभता को दूर कर सकते हैं।
अशुभ मंगल के अनिष्ट को दूर करने के सरल उपाय
:-
मंगलवार के दिन लाल मसूर की दाल, मिठाई का दान करें।
मंगलवार के दिन हनुमान जी को चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर चोला चढ़ाये।
हनुमान जी को लाल गुलाब की माला अर्पित करें।
शिवजी की उपासना करें।
श्रीरामरक्षा का पाठ करें।
तन पे ज्यादा से ज्यादा चांदी धारण करें।
तीन धातु तांबा,चांदी,सोना मिश्रित छल्ला अनामिका अंगुली में धारण करे।
रसोई साफ सुथरी रखे।
दक्षिण दिशा स्वच्छ साफ सुथरी रखें. वहापर किसी भी तरह का कबाड़ न रखें।
भाई से साथ अच्छे संबंध बना कर रखें।
छोटे भाई बहनों का ख्याल रखें।
रसोई में बैठकर भोजन करें।
प्रतिदिन सुबह के समय 10 से 15 मिनट ध्यान करे।
अपने अंदर धैर्य बनाये रखने का प्रयास करें।
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