चंद्रमा जीवन में बहुत महत्व रखता है चंद्रमा मन, और माता का कारक है। चंद्रमा यदि कुंडली में शुभ स्थिति में हो तो जातक को रुपया-पैसे, प्रॉपटी के सुख मिलाता है। घर में सुख-शांति बनी रहती है।
कुंड़ली में चद्र अशुभ होने से मन चंचल होता है इस कारण जातक किसी भी जगह पर स्थिर नही रह पाता और नही किसी काम को मन लगाकर कर पाता हैं।
जातक के पास पैसे टिक नहीं पता है। प्रॉपर्टी को लेकर कोई न कोई विवाद लगा ही रहता है।
घर होते हुए भी उसका कोई सुख मिल नहीं पता है।
मन की शांति घर की सुख शान्ति भंग रहती है।
घर में किसी न किसी प्रकार का कलह लगा ही रहता है।
ऐसे जातक की अपनी माता से नहीं बनती है। माँ से विचार नहीं मिलते और माता को किसी भी प्रकार का कष्ट या स्वास्थ्य की दिक्कत लगी ही रहती है। जातक की माता भी उससे रुष्ट हो जाती है और वो अपनी माँ के सुख की कमी महसूस करता है।
इसके प्रभाव से मानसिक तनाव, मन में घबराहट, मन में तरह तरह की शंका बनी रहती है. व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के विचार भी बार-बार आते रहते हैं |
जातक हमेशा डबल माइंडेड कंफ्यूजन में रहता है। उसका मन हमेशा अशांत, चिडचिडा, नकारात्मक विचारों से घिरा हुआ रहता है।
मानसिक चिंता व परेशानी, ऐसे में जातक खुद को फंसा फंसा महसूस करता है, उसे समझ नहीं आता कि वो अपनी समस्याओं से कैसे बाहर निकलें।
दूध देने वाले पशु की मृत्यु हो जाती है। घर में पानी की कमी आ जाती है या नलकूप, कुएं आदि सूख जाते हैं।
अगर किसी व्यक्ति की बायीं आँख अचानक कमजोर हो जाती है तो यह भी चन्द्रमा अशुभ के लक्षण है।
यदि इस तरह का कोई भी लक्षण दिखे तो समझ लीजिए कि आपकी जन्म कुंडली में चंद्र देव अशुभ हैं। यदि आप इस अशुभता को दूर करना चाहते हैं तो नीचे बताए गए उपाय करके आप चंद्र देव की अशुभता को दूर कर सकते हैं।
अशुभ चंद्रमा के अनिष्ट को दूर करने के सरल उपाय
:-
सोमवार के दिन अपने सामर्थ्यानुसार दूध, चावल शिव मंदिर में चढ़ाये।
माता का सम्मान करे उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेते रहे।
चावल, चांदी, गंगाजल ज्यादा से ज्यादा घर में संभालकर रखें।
43 दिन पानी को साफ पात्र में सिरहाने रखकर सोएं और सुबह कीकर के वृक्ष की जड़ में डाल दें।
'ॐ सोम सोमाय नमः' का 108 बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है।
शिवजी की उपासना करें। महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
सूर्यास्त के बाद ढूध न पिए।
किसी विधवा स्त्री या विधवा आश्रम जाकर उन स्त्रियों को उनकी जरूरत की चीजे देकर उनके पैर छूकर आशिर्वाद लेते रहे।
घर की उत्तर-पश्चिम दिशा को साफ-सुथरी रखें।
No comments:
Post a Comment