शुक्र ग्रह यह सुंदर जीवन साथी, सुख सुविधाओं युक्त जिवन और भोग विलास का कारक है।
शुक्र के अशुभ होने पर वैवाहिक जीवन में कलह की स्थिति उत्पन्न होने लगती है और इस कलह से अलगाव या तलाक की नौबत भी आ सकती है।
शुक्र अशुभ होने पर जीवन में धन संपत्ति, सुख - साधन सभी वस्तुओं का सुख नहीं मिल पाता है।
यदि यह सब होने पर भी किसी भी कारण वश आप इन सभी के उपभोग का सुख न ले पाए तो यह भी शुक्र के खराब होने के लक्षण है।
परिवार में स्त्री के कारण किसी भी प्रकार से धन की हानि हो रही हो तो यह भी खराब शुक्र के लक्षण को दर्शाता है.
व्यक्ति को वैवाहिक जीवन का निजी सुख न मिल पाए, पति-पत्नी के संबंधों में मधुरता न रहे या दोनों में से किसी की कमी उनकी इच्छा की पूर्ति करने में सक्षम न हो रही हो यह भी शुक्र का ही अशुभ प्रभाव होने का लक्षण है।
स्त्री को गर्भाश्य से संबंधित रोग परेशान करें या संतति संबंधी परेशानि हो तो यह भी शुक्र की अशुभता का संकेत देते हें।
शुक्र के पीड़ित होने के कारण व्यक्ति गुप्त रोगों से पीड़ित होने लगता है. शरीर में हमेशा आलस्य भरा रहता है. व्यक्ति किसी भी कार्य को पूरा ही नहीं कर पाता. शरीर में जोश की कमी रहती है तो यह सब शुक्र के अशुभ होने के लक्षण को दर्शाता है।
अंगूठे में दर्द का रहना या बिना रोग के ही अंगूठा बेकार हो जाता है। यह भी शुक्र के अशुभ होने के लक्षण है।
शुक्र को शुभ करने के उपाय -
शुक्र को शुभ करने के लिए प्रतिदिन घर की पहेली रोटी गाय को अवश्य खिलाए।
स्वयं को और घर को साफ-सुथरा रखें और हमेशा साफ कपड़े पहनें। नित्य नहाएं। शरीर को जरा भी गंदा न रखें।
नित्य सुगन्धित इत्र या सेंट का उपयोग करें।
मंत्र : ॐ शुं शुक्राय नम:। नित्य 108 बार जाप करें।
स्त्री एवं अपनी पत्नी का कभी भी अपमान या निरादर नहीं करना चाहिए उन्हें सदैव आदर और सम्मान देने का प्रयास करना चाहिए।
हर शुक्रवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाना चाहिए। और कुछ समय गौमाता के पास अवश्य बिताए ताकि उनमे से निकलने वाली शुक्र की सकारात्मक उर्जा आपको मिले।
शुक्र की अशुभता दूर करने के लिए सामर्थ्य अनुसार रुई और दही को मंदिर में दान करना चाहिए।
गरीबो मे बने बनाए कपड़ों का दान करना चाहिए।